अगर आप या आपके परिवार में कोई मेडिकल की तैयारी कर रहा है, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। NEET 2025 को लेकर NMC (National Medical Commission) ने कुछ बड़े बदलावों की घोषणा की है। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने से पहले छात्रों को Foundation Exam नाम की एक नई परीक्षा भी पास करनी होगी। इस फैसले ने लाखों मेडिकल अभ्यर्थियों के बीच चर्चा का विषय बना दिया है।
राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा यानी NEET भारत में मेडिकल कॉलेजों में MBBS और अन्य पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए एकमात्र गेटवे बन चुकी है। अब तक छात्र केवल NEET परीक्षा पास करके सीट हासिल करते थे, लेकिन 2025 से पहले यह प्रक्रिया थोड़ी और जटिल हो सकती है। National Medical Commission के अनुसार, Foundation Exam का उद्देश्य छात्रों को मेडिकल साइंस की बेसिक समझ को जांचना और उन्हें MBBS जैसे कठिन कोर्स के लिए मानसिक रूप से तैयार करना है।
यह नया नियम NMC द्वारा जारी किए गए उस प्रस्ताव के तहत लाया गया है जिसमें कहा गया है कि MBBS की पढ़ाई में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए छात्रों की प्रारंभिक जांच जरूरी है। Foundation Exam, 12वीं कक्षा के बाद और NEET के साथ या उसके बाद आयोजित की जा सकती है। हालांकि अभी यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह परीक्षा NEET में शामिल होगी या एक अलग टेस्ट के रूप में ली जाएगी। इस पर अंतिम निर्णय अगले कुछ महीनों में लिया जाएगा।
शिक्षाविदों और कोचिंग संस्थानों की ओर से इस बदलाव को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि Foundation Exam छात्रों को NEET के लिए और ज्यादा गंभीर बनाएगा और मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करेगा। वहीं, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि इससे छात्रों पर अनावश्यक दबाव बढ़ सकता है और पहले से ही प्रतिस्पर्धी इस परीक्षा को और ज्यादा बोझिल बना सकता है।
छात्रों में भी इस खबर को लेकर मिश्रित भावनाएं हैं। कई छात्रों को लगता है कि एक अतिरिक्त परीक्षा उनके लिए चुनौतीपूर्ण होगी, खासकर तब जब वे पहले से ही NEET और बोर्ड परीक्षाओं के तनाव से जूझ रहे होते हैं। हालांकि, कुछ टॉपर्स और शिक्षकों का मानना है कि अगर Foundation Exam को ठीक ढंग से डिज़ाइन किया गया, तो यह छात्रों के लिए एक मार्गदर्शक की तरह काम करेगा और उन्हें शुरुआती स्तर पर ही अपनी कमजोरियों को पहचानने का मौका देगा।
इस नई व्यवस्था का असर मेडिकल एडमिशन प्रक्रिया पर भी पड़ सकता है। जहां एक ओर यह मेडिकल सीटों की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है, वहीं दूसरी ओर यह उन छात्रों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है जिनकी पहुंच अच्छे कोचिंग संसाधनों तक नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए यह एक और परीक्षा पास करने का अतिरिक्त दबाव हो सकता है।
सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि Foundation Exam को लागू करने से पहले सभी राज्यों, शिक्षण संस्थानों और छात्रों से राय ली जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया है कि परीक्षा का स्वरूप छात्रों के स्तर के अनुकूल ही रखा जाएगा और यह कोई अलग से प्रवेश परीक्षा की तरह कठिन नहीं होगी। इसका उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना होगा कि जो छात्र मेडिकल में प्रवेश लें, वे शैक्षणिक रूप से इस क्षेत्र के लिए तैयार हों।
अभी तक की जानकारी के अनुसार, Foundation Exam को 2025 से पायलट बेसिस पर लागू किया जा सकता है, और उसके बाद उसके प्रभाव और चुनौतियों को देखकर इसे अनिवार्य किया जाएगा। NMC के इस कदम से यह साफ हो गया है कि अब मेडिकल शिक्षा को और भी गंभीरता से लेने का समय आ गया है।
निष्कर्ष
NEET 2025 के साथ आने वाला Foundation Exam छात्रों के लिए एक नई चुनौती हो सकती है, लेकिन अगर इसे सही दिशा में देखा जाए, तो यह भारतीय मेडिकल शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने में अहम भूमिका निभा सकता है। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे अभी से अपनी नींव मजबूत करें और किसी भी बदलाव के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें। आने वाले समय में यह परीक्षा तय कर सकती है कि कौन वास्तव में मेडिकल क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए उपयुक्त है।